सरकारी नौकरियों के लिए होगी एक ही भर्ती परीक्षा, साल में 2 बार CET कराएगी NRA , जानें क्या होगा एग्जाम पैटर्न, क्या होंगे फायदे

 

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्रीय कैबिनेट की बुधवार को कई अहम फैसले किए। अब केंद्र सरकार की सरकारी नौकरियों के लिए एक ही परीक्षा होगी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भर्ती के लिए नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी (एनआरए) के गठन को मंजूरी दे दी है। एनआरए केंद्र सरकार की सरकारी नौकरियों के लिए एक कॉमन एलजिबिलिटी टेस्ट (सीईटी) कराएगी। इससे करीब ढाई करोड़ उम्मीदवारों को एक से अधिक परीक्षाओं में बैठने से छुटकारा मिलेगा। इसकी शुरुआत रेलवे, बैंकिंग और एसएससी की आरंभिक परीक्षाओं को मर्ज करने से होगी। बाद में अन्य परीक्षाएं भी इसमें शामिल की जाएंगी। इस साल बजट में ही इस एजेंसी के गठन का ऐलान कर दिया था। 

साल में दो बार परीक्षा :
कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि एनआरए साल में दो बार कामन सीईटी का आयोजन करेगी। अभी रेलवे भर्ती बोर्ड (आरबीएस) इंस्टीट्यूट आफ बैंकिंग पर्सनल सलेक्शन (आईबीपीएस) तथा कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) द्वारा आयोजित की जाने वाली आरंभिक परीक्षाओं को मर्ज किया जाएगा। इन परीक्षाओं में ग्रुप बी और सी के 1.25 लाख पदों के लिए करीब ढाई करोड़ उम्मीदवार बैठते हैं। लेकिन अभी उन्हें हर परीक्षा के लिए प्रारंभिक परीक्षा भी अलग-अलग देनी पड़ती है। 




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तीन साल तक मान्य रहेगी मेरिट सूची :
कार्मिक राज्य मंत्री डा. जितेन्द्र सिंह ने बताया कि नए फैसले के मुताबिक सीईटी में सफल उम्मीदवारों की एक मेरिट लिस्ट तैयार होगी, जो तीन साल तक मान्य रहेगी। हालांकि जो उम्मीदवार अपना स्कोर बेहतर करना चाहेंगे वे पुन परीक्षा में बैठ सकेंगे। जो उम्मीदवार प्रारंभिक परीक्षा में सफल होंगे उन्हें बैंक, रेलवे या एसएससी की दूसरे चरण की परीक्षा में शामिल होने के अवसर प्राप्त होंगे। उन्होंने साफ किया कि सिर्फ आरंभिक परीक्षा एक होगी बाकी अन्य औपचारिकताएं और नियम पूर्व की भांति रहेंगे।

अभी कई एजेंसियां परीक्षा आयोजित करती हैं :
जावड़ेकर ने कहा कि अभी तीन परीक्षाओं को मर्ज किया जा रहा है बाद में अन्य परीक्षाएं भी इसमें शामिल होंगी। केंद्र की करीब 20 एजेंसियां भर्ती परीक्षाएं आयोजित करती हैं जो चरणबद्ध तरीके से इसमें मर्ज हो जाएंगी। जितेन्द्र सिंह ने कहा कहा कि राज्यों और निजी क्षेत्र को भी इस प्रकार के कदम उठाने चाहिए। निजी क्षेत्र इस परीक्षा के स्कोर से भी उम्मीदवारों का चयन कर सकता है।







क्या होगा फायदा 
-उम्मीदवारों को अलग-अलग आरंभिक परीक्षाओं से मुक्ति मिलेगी
- परीक्षाओं की तारीखें एक साथ आ जाने से एक परीक्षा छोड़नी पड़ती थी, जो अब नहीं होगी
- परीक्षा केंद्र अलग-अलग शहरों में पड़ते थे। अब यह समस्या खत्म हो जाएगी
-परीक्षाओं के लिए अब हर जिला मुख्यालय पर एक केंद्र होगा। दूर नहीं जाना होगा
- एक ही परीक्षा के लिए फीस भरनी होगी। यात्रा पर होने वाले खर्च में भी कमी आएगी
- रेलवे भर्ती बोर्ड, कर्मचारी चयन आयोग और आईबीपीएस के प्रतिनिधि संचालक मंडल में शामिल होंगे
- अभी परीक्षा के आवेदन से लेकर रिजल्ट आने में 12-18 महीने लगते हैं। सीईटी से यह समय घटेगा

ग्रुप-बी और सी वालों को बड़ी राहत
ग्रुप बी और सी की आरंभिक परीक्षा की अर्हताएं एक जैसी होती हैं, लेकिन हर बोर्ड का अलग पैटर्न होने के कारण उम्मीदवारों को अलग-अलग प्रकार से परीक्षा की तैयारी करनी पड़ती है। एक परीक्षा होने से एक ही किस्म की तैयारी करनी होगी।

एक परीक्षा की योजना सफल रही 
केंद्र सरकार ने पूर्व में एमबीबीएस में एडमिशन के लिए भी एक टेस्ट किया है। जो सफल रहा है। जबकि पहले हर राज्य अपनी परीक्षा करता था। इसी प्रकार प्रतियोगी परीक्षाओं के आयोजन के लिए एक एजेंसी एनटीए का गठन किया है। पहले यह कार्य सीबीएसई या अन्य एजेंसियों को करना पड़ता था। 






सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, देश में सरकारी नौकरियों के लिए 20 से अधिक भर्ती एजेंसियां हैं। सरकारी नौकरी के लिए युवाओं को बहुत सी परीक्षा देनी होती थी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इसे समाप्त करने के लिए एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। 

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दिल्ली में होगा मुख्यालय : 
एनआरए एक स्वायत्त संस्थान होगी, जिसका मुख्यालय दिल्ली में होगा। इसका अध्यक्ष सचिव स्तर का अधिकारी होगा। एनआरए द्वारा देश भर में एक हजार परीक्षा केंद्रों की स्थापना की जाएगी। एक जिले में कम से कम एक परीक्षा केंद्र का होना सुनिश्चित किया जाएगा। प्रारंभिक परीक्षा 12 क्षेत्रीय भाषाओं में आयोजित की जाएगी। एनआरए के गठन पर तीन सालों में करीब 1517 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। मकसद यह है कि पारंभिक परीक्षा के लिए उम्मीदवार को जिला मुख्यालय से आगे नहीं जाना पड़ेगा।


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