टीवी वाले अधिकतर घरों में ‘मेरा दूरदर्शन, मेरा विद्यालय’ कार्यक्रम के वक्त बच्चे देखते कार्टून-फिल्म, गांवों में 75% को इसकी जानकारी ही नहीं

(प्रशांत कुमार) कोरोना काल में प्राथमिक से लेकर प्लस-टू लेवल के बच्चों काे एकेडमिक लॉस (शैक्षणिक ह्रास) नहीं हो, इसके लिए दूरदर्शन पर कक्षाओं का प्रसारण किया जा रहा है। डीडी बिहार पर मेरा दूरदर्शन, मेरा विद्यालय कार्यक्रम के तहत अलग-अलग शिफ्ट में पहली से 12वीं तक के बच्चाें के लिए कार्यक्रम का प्रसारण हाे रहा है।

बच्चे टीवी-मोबाइल से पढ़ाई कर सकते हैं, लेकिन प्रचार-प्रसार नहीं होने के कारण 75 फीसदी से अधिक को कार्यक्रम की जानकारी ही नहीं है। जाे वक्त शैक्षणिक प्रसारण का होता है, उस समय बच्चे माता-पिता के साथ मनोरंजन प्रधान कार्यक्रम देखते रहते हैं। बच्चों की सर्वाधिक पसंद कार्टून और मोटू पतलू से लेकर छोटा भीम जैसे कार्यक्रम हैं। पब्जी बैन होने के बाद अब 10वीं-12वीं के बच्चे फ्री फायर ऑनलाइन गेम में व्यस्त रहते हैं। इसमें बैटल ग्राउंड में विजेता बनने पर इनाम भी मिलता है।
वैसे, ऑनलाइन पढ़ाई की जागरूकता के मामले में बेटियां आगे हैं। 10वीं की छात्रा रीना कुमारी ने बताया कि घरेलू कामकाज के बाद वह ऑनलाइन पढ़ाई करती है। शुरुआत में दिक्कत हुई, लेकिन अब सब कुछ समझ में आता है। 9वीं के छात्र छोटे भाई आदर्श ने बताया कि घर में टीवी है, उसे फिल्म व कार्टून देखना पसंद है। ग्रामीणों की मानें तो शिक्षा विभाग की ओर से प्रचार-प्रसार नहीं किया गया। वहीं, मोबाइल-टीवी नहीं होने के कारण भी पढ़ाई ठप है।

जानें डीडी बिहार की कक्षाओं के प्रसारण का समय
कक्षा 1 से 2- दोपहर 3.05 से 4 बजे तक
कक्षा 3 - 5- शाम 4. 05 से 5 बजे तक
कक्षा 6 - 8- सुबह 9.02 से 10 बजे तक
कक्षा 9-10- सुबह 11.05 से 12 बजे तक
कक्षा 11-12- सुबह 10.05 से 11 बजे तक

इस कार्यक्रम की जानकारी देने के लिए नहीं घूमी वैन
डीडी बिहार पर प्रसारित होनेवाले कार्यक्रम मेरा दूरदर्शन, मेरा विद्यालय का लाभ अधिक से अधिक छात्राें को मिले इसके लिए गांव, टोलों, माेहल्लों और कस्बों में वैन से प्रचार का निर्देश दिया गया था, लेकिन जिले में प्रचार वाहन घूमे ही नहीं। वैन खड़ी ही रह गई। इसमें उन्नयन बिहार योजना के अनुश्रवण के लिए रखे गए वाहन का इस्तेमाल होना था। डीईओ अब्दुस सलाम अंसारी ने कहा कि जल्द प्रचार वाहन से गांवों, कस्बों में प्रचार कराया जाएगा, ताकि इसका लाभ ज्यादा बच्चों को मिले।

कांटी प्रखंड का मैसाहां गांव: यहां टोले के किसी घर में टीवी या स्मार्टफोन नहीं है। दोपहर में सड़क किनारे दातून कर रहे फुदेनी बैठा को पता नहीं है कि टीवी पर बच्चों के लिए पढ़ाई के कार्यक्रम आ रहे हैं। गांव के दिलीप पांडेय ने बताया कि डीडी बिहार पर चलने वाली कक्षाओं की जानकारी उन्हें भी नहीं है। टीवी पर बच्चे कार्टून, फिल्म और धार्मिक सीरियल देखते हैं। पास के निरंजन ठाकुर, शिवम कुमार और सचिन ने बताया, घर में टीवी है, स्मार्ट फोन भी है, लेकिन जानकारी नहीं है।

जविप्र से जुड़े डीलर आलोक झा के घर में 2 बच्चे हैं। गौतम कुमार गांव के स्कूल में ही छठी में और गौरव चौथी में पढ़ते हैं। घर में डीटीएच लगा है, लेकिन दोनों को कार्टून देखना पसंद है। इस कार्यक्रम की जानकारी नहीं है। 8वीं में पढ़ने वाली सपना झा ने बताया, वह मोबाइल पर ऑनलाइन क्लास और डीडी बिहार पर कक्षाओं में शामिल होती हैं। मो. मोहसिन के घर भी टीवी है, लेकिन ऐसे कार्यक्रम का नाम उन्होंने नहीं सुना।

साइन गांव का नीम चौक टोला: दोपहर में पेड़ की छांव में बच्चे चोर-पुलिस खेल रहे हैं। इनमें सभी 5वीं से 8वीं के छात्र हैं। किशन कुमार, छोटू और विकास ने बताया कि अप्रैल से स्कूल बंद हैं। सर ट्यूशन पढ़ाने के लिए आते हैं। घर में टीवी है। कार्टून और फिल्म देखना पसंद है। आगे बढ़ने पर निजी स्कूल के शिक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, जागरूकता नहीं होने से बच्चे डीडी बिहार पर संचालित होने वाले कार्यक्रम से नहीं जुड़ पा रहे। सरकारी स्कूल के शिक्षक और प्रधानाध्यापक तक को मेरा दूरदर्शन, मेरा विद्यालय कार्यक्रम के संबंध में जानकारी नहीं है। कोई प्रचार वाहन भी नहीं घूमा है।

सरैया का हरपुर बेनी गांव: दोपहर 3 बजे। यह वक्त मेरा दूरदर्शन मेरा विद्यालय कार्यक्रम के प्रसारण का है। शंकर पांडेय के बरामदे में टेलीविजन चल रहा है। घर के अंदर से विशाल, मोहित कॉपी के साथ बारामदे में दाखिल हुए और डीडी बिहार चैनल को ट्यून किया। टन... टन... सुनो घंटी बजी... इसकी आवाज आते ही बगल के घर से विनीत, लक्ष्य और कुंदन भी आ गए।

किताब खोली और डीडी बिहार पर चलने वाली कक्षा को देखने लगे। दादी उर्मिला कुंवर ने बताया, स्कूल बंद होने से बच्चों की पढ़ाई चौपट है। ट्यूशन से काम चलाना पड़ रहा है। बच्चे कार्टून, फिल्म देखना चाहते हैं, लेकिन उन्हें नियमित रूप से ऑनलाइन क्लास से जोड़ा जा रहा है। आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों के बच्चे टीवी नहीं होने व जागरूकता की कमी से इसे नहीं देख पाते हैं।

रामकृष्ण दुबियाही गांव: 9वीं में पढ़ने वाले प्रदीप कुमार ने बताया, घर में टीवी और स्मार्ट फोन नहीं है। वह बगल के मित्र के साथ बैठकर पढ़ाई करता है। पूरी पढ़ाई तो नहीं हो पाती, लेकिन परेशानी होने पर वह शिक्षक से परामर्श लेता है। टुनटुन महतो ने बताया, कोरोना के कारण स्कूल बंद होने से सबसे अधिक गरीबाें के बच्चे पढ़ाई से वंचित हुए। टीवी नहीं है। मोबाइल है तो उसमें इंटरनेट के लिए पैसे नहीं हैं। घर पर मोबाइल नहीं रहता है, इससे बच्चा पढ़ नहीं पाता। वे अगले महीने से बच्चों को ट्यूशन भेजेंगे। 9वीं के छात्र आदर्श ने बताया, घर में टीवी व स्मार्ट फोन है, लेकिन पढ़ाई के लिए उसका इस्तेमाल नहीं करते। उसे मोबाइल पर फायर फ्री फायर गेम खेलना पसंद है।

जागरूकता नहीं होने से केवल खानापूर्ति की जा रही
नेशनल अवार्डी टीचर शिक्षाविद डॉ. फूलगेन पूर्वे ने कहा- डीडी बिहार की इन कक्षाओं का प्रचार-प्रसार नहीं किया गया। इससे गांवों तक इसकी पहुंच नहीं हुई। केवल शहरी और आसपास के इलाकों में ही बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई से जुड़ रहे हैं। शिक्षा विभाग भी रिपाेर्ट मंगा उसे निदेशालय भेजता है।

विभागीय रिपोर्ट में कार्यक्रम देखने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या

कक्षा नामांकितों की संख्या कार्यक्रम देखने वाले छात्र
पहली, दूसरी 173332 53465
तीसरी से 5वीं 338277 92387
छठी से 8वीं 290263 87458
9वीं, 10वीं 127817 48973
11वीं, 12वीं 17946 10892


Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
‘मेरा दूरदर्शन, मेरा विद्यालय’ कार्यक्रम का प्रसारण देखते बच्चे।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3iMBiAp
via IFTTT

Post a Comment

Mortal Combat Session 2